Toll Tax New Rules – हर दिन हजारों लोग अपने काम-काज के लिए नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस वे का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन टोल प्लाजा पर रुकना और टोल टैक्स देना कई बार काफी झंझट भरा हो जाता है। अब इसी परेशानी को दूर करने के लिए सरकार ने टोल टैक्स को लेकर कुछ नए नियम लागू किए हैं, जो खास तौर पर लोकल लोगों और रोजाना सफर करने वालों के लिए बड़ी राहत लेकर आए हैं।
किन लोगों को मिलेगा टोल टैक्स से छुटकारा
सबसे पहले बात करते हैं कि कौन से लोग टोल टैक्स से पूरी तरह बच सकते हैं। नया नियम ये कहता है कि अगर कोई व्यक्ति टोल प्लाजा से 20 किलोमीटर के दायरे में रहता है और अपनी प्राइवेट कार का इस्तेमाल करता है, तो उसे टोल टैक्स नहीं देना होगा। ये छूट सिर्फ निजी गाड़ियों के लिए है, टैक्सी या कमर्शियल वाहनों को इसका फायदा नहीं मिलेगा। मतलब अगर आप किसी टोल प्लाजा के नजदीक रहते हैं और रोजमर्रा की ज़रूरतों के लिए थोड़ी दूरी तक ही जाते हैं, तो अब आपको बार-बार टोल देने की झंझट से छुटकारा मिल जाएगा।
कैसे पता चलेगा कितनी दूरी तय की गई है
अब सवाल ये उठता है कि सरकार कैसे तय करेगी कि आपने कितनी दूरी तय की है। इसके लिए एक नई तकनीक लाई जा रही है जिसका नाम है GNSS यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम। ये तकनीक सैटेलाइट के जरिए आपके वाहन की लोकेशन ट्रैक करेगी और बताएगी कि आपने एक दिन में कितनी दूरी तय की है। अगर आपकी यात्रा 20 किलोमीटर से कम है, तो आपको कोई टोल नहीं देना होगा।
फास्टैग की जगह लेगा नया GNSS सिस्टम
अभी तक टोल टैक्स फास्टैग के जरिए लिया जाता है, जो पहले से ही चीजों को काफी आसान बना चुका है। लेकिन अब सरकार एक कदम और आगे बढ़ गई है। अब GNSS सिस्टम को लागू किया जा रहा है, जो फास्टैग से भी ज्यादा एडवांस होगा। इस तकनीक की खासियत ये है कि आपको टोल प्लाजा पर रुकना ही नहीं पड़ेगा। आपकी गाड़ी जितनी दूरी तय करेगी, GNSS सिस्टम के जरिए उतना ही टोल अपने आप कट जाएगा। इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि ट्रैफिक जाम भी काफी हद तक कम हो जाएगा।
सरकार ने नियमों में किया बदलाव
सड़क परिवहन मंत्रालय ने 2008 के पुराने टोल नियमों को भी अपडेट कर दिया है। नए नियमों के मुताबिक, अगर आप हाईवे या एक्सप्रेस वे पर 20 किलोमीटर से कम की दूरी तय करते हैं, तो आपसे कोई टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा। अगर दूरी इससे ज्यादा होती है, तो आपके द्वारा तय की गई दूरी के हिसाब से ही टोल लिया जाएगा।
पायलट प्रोजेक्ट की हुई शुरुआत
इस नई तकनीक को लागू करने से पहले सरकार ने इसे दो जगहों पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया है। एक कर्नाटक के बेंगलुरु-मैसूर हाईवे पर और दूसरा हरियाणा के पानीपत-हिसार हाईवे पर। यहां इसका ट्रायल किया जा रहा है और इसके नतीजों के आधार पर ही पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा।
स्थानीय लोगों को सबसे ज्यादा फायदा
इन नए नियमों से सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होगा जो टोल प्लाजा के आसपास रहते हैं। पहले उन्हें थोड़ी सी दूरी तय करने पर भी हर बार टोल देना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इससे न सिर्फ पैसे की बचत होगी बल्कि उनका सफर भी आसान होगा।
यात्रा होगी ज्यादा आरामदायक
GNSS तकनीक के आने से सफर और भी आरामदायक हो जाएगा। टोल प्लाजा पर लंबी लाइन में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी और टोल अपने आप कट जाएगा। दूरी के हिसाब से टोल लगने से भी लोगों को लगेगा कि उन्हें फेयर सिस्टम में भुगतान करना पड़ रहा है। इससे पारदर्शिता भी बनी रहेगी और भरोसा भी।
तकनीकी दिक्कतें और उनके समाधान
हर नई तकनीक के साथ कुछ चुनौतियां भी आती हैं। GNSS सिस्टम को काम करने के लिए मजबूत सैटेलाइट कनेक्शन चाहिए होता है जो कभी-कभी मौसम या दूसरी वजहों से प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा सभी गाड़ियों में इस सिस्टम को लगाना भी एक बड़ी जिम्मेदारी है। इसी को देखते हुए सरकार पहले पायलट प्रोजेक्ट के जरिए इसका परीक्षण कर रही है।
भविष्य की तस्वीर
अगर GNSS तकनीक सफल रही, तो आने वाले समय में देश भर में टोल टैक्स का यही सिस्टम लागू होगा। इससे टोल वसूली का तरीका पूरी तरह पारदर्शी और डिजिटल हो जाएगा। साथ ही स्थानीय लोगों को मिलने वाली छूट उनके खर्च को भी कम करेगी और सफर को आसान बना देगी।