RBI Rule for Loan – अगर आपने बैंक से लोन लिया है और जानबूझकर उसका भुगतान नहीं कर रहे हैं तो अब संभल जाइए क्योंकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने ऐसे लोन डिफॉल्टर्स पर नकेल कसने के लिए नए सख्त नियमों का ड्राफ्ट जारी किया है। इन नियमों का मकसद उन उधारकर्ताओं को टारगेट करना है जो लोन चुकाने में सक्षम होते हुए भी जानबूझकर किस्त नहीं भरते हैं और सिस्टम को चूना लगाते हैं।
आरबीआई का ये कदम अब बेहद जरूरी हो गया था क्योंकि हाल के सालों में जानबूझकर लोन न चुकाने वालों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। दिसंबर 2024 के आंकड़ों के अनुसार देश में कुल जानबूझकर न चुकाए गए लोन की रकम 3.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी जो कि बैंकों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है।
क्या कहता है RBI का नया ड्राफ्ट
नए ड्राफ्ट के अनुसार अगर किसी व्यक्ति ने बैंक से ₹25 लाख या उससे अधिक का लोन लिया है और जानबूझकर उसका भुगतान नहीं किया है तो उस पर विलफुल डिफॉल्टर का टैग लगा दिया जाएगा। यह टैग लगने के बाद उस व्यक्ति के लिए ना सिर्फ किसी भी बैंक से नया लोन लेना मुश्किल होगा बल्कि उसकी आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित होंगी।
ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि किसी खाते के NPA घोषित होने के 6 महीने के भीतर उस पर विलफुल डिफॉल्टर का टैग लगाना अनिवार्य कर दिया जाए। अभी तक इसमें काफी देरी होती थी और डिफॉल्टर इस सिस्टम का फायदा उठाकर समय से पहले भाग जाते थे या कानूनी उलझनों में मामला फंसा देते थे।
विलफुल डिफॉल्टर कौन होता है
आरबीआई के नियमों के अनुसार वह व्यक्ति या संस्था जो लोन चुकाने की क्षमता रखते हुए भी जानबूझकर भुगतान नहीं करती और लोन की रकम का इस्तेमाल उस मकसद के लिए नहीं करती जिसके लिए लोन लिया गया था, उसे विलफुल डिफॉल्टर माना जाता है।
इसका मतलब है कि अगर किसी ने बिजनेस के नाम पर लोन लिया और वह पैसा प्रॉपर्टी खरीदने या किसी और जगह लगा दिया या फिर उसे खर्च करके जानबूझकर लोन न चुकाने का बहाना बना रहा है तो अब उसकी खैर नहीं।
ऐसे डिफॉल्टर फाइनेंशियल सिस्टम के लिए खतरा क्यों हैं
बैंक जनता का पैसा लोन के रूप में आगे देता है और जब यह पैसा वापस नहीं आता तो इसका सीधा असर बैंक की आर्थिक स्थिति और जमाकर्ताओं की सुरक्षा पर पड़ता है। ऐसे लोग जो जानबूझकर लोन नहीं चुकाते वे देश की बैंकिंग व्यवस्था को कमजोर करते हैं और साथ ही ईमानदार उधारकर्ताओं पर भी असर डालते हैं क्योंकि बैंकों को ब्याज दरें बढ़ानी पड़ती हैं।
कौन लोग आएंगे इन नियमों के दायरे में
आरबीआई ने अपने ड्राफ्ट में कहा है कि 25 लाख रुपये या उससे अधिक का लोन लेने वाले जानबूझकर डिफॉल्ट करने वालों पर ये सख्त नियम लागू होंगे। इसके अलावा एनबीएफसी यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज को भी अधिकार दिया जाएगा कि वे भी विलफुल डिफॉल्टर का टैग लगा सकें जिससे सिर्फ बैंक ही नहीं बल्कि अन्य वित्तीय संस्थान भी इस नियम के तहत कार्रवाई कर सकें।
विलफुल डिफॉल्टर घोषित होने पर क्या असर होगा
- सबसे पहले तो ऐसे व्यक्ति या कंपनी को भविष्य में कोई नया लोन नहीं मिलेगा
- लोन की री-स्ट्रक्चरिंग यानी शर्तों में ढील भी नहीं दी जाएगी
- सरकार की किसी भी वित्तीय योजना में ऐसे लोग भाग नहीं ले पाएंगे
- क्रेडिट स्कोर बुरी तरह गिर जाएगा जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की फाइनेंशियल मदद मिलना मुश्किल हो जाएगा
- बैंक संपत्ति जब्त कर सकती है और कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है
आरबीआई क्यों उठा रहा ये बड़ा कदम
देश की बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए यह कदम बेहद जरूरी हो गया था। कुछ बड़े उद्योगपति और कारोबारी संस्थाएं वर्षों से कानूनी खामियों का फायदा उठाकर लोन लेकर विदेश भाग जाते हैं या फिर दिवालिया घोषित हो जाते हैं जिससे बैंक को करोड़ों का नुकसान होता है। इस नई व्यवस्था के तहत ऐसे लोगों को शुरू से ही चिन्हित कर लिया जाएगा ताकि वे सिस्टम से भाग न सकें।
लोन लेने वालों के लिए जरूरी चेतावनी
अगर आपने बैंक से लोन लिया है और आप उसे समय पर चुकाने में सक्षम हैं तो किसी भी तरह की ढिलाई या बहाना बनाने की सोच भी न रखें। क्योंकि अब आरबीआई की नजर सिर्फ बड़े कारोबारियों पर ही नहीं बल्कि उन आम लोगों पर भी है जो ₹25 लाख या उससे ज्यादा का लोन लेकर उसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
साथ ही अगर आपने किसी कारणवश लोन की किस्तें नहीं चुकाई हैं तो समय रहते बैंक से संपर्क करें और समाधान निकालें क्योंकि अगर एक बार आप पर विलफुल डिफॉल्टर का टैग लग गया तो फिर उसे हटवाना आसान नहीं होगा।
नए नियम कब तक लागू हो सकते हैं
आरबीआई ने यह ड्राफ्ट फिलहाल सार्वजनिक राय के लिए जारी किया है और इस पर सभी स्टेकहोल्डर्स जैसे बैंक, एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थानों से सुझाव मांगे हैं। आने वाले कुछ महीनों में इसे अंतिम रूप देकर लागू कर दिया जाएगा। इससे पहले कि ये नियम लागू हों आप अपनी फाइनेंशियल स्थिति को सुधारें और अगर कोई लोन लंबित है तो उसका समाधान निकालें।
आरबीआई का ये कदम देश की बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक बड़ा और सराहनीय कदम है। इससे ना सिर्फ बैंकों को फायदा होगा बल्कि आम जनता का भरोसा भी बैंकिंग सिस्टम में बना रहेगा। ईमानदार लोगों के लिए कोई परेशानी नहीं है लेकिन जो लोग जानबूझकर लोन नहीं चुकाते वे अब पकड़ में आएंगे और उन्हें इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा।