RBI New Minimum Balance Rules – बैंक खाता तो आज हर किसी के पास होता है चाहे वो गांव का हो या शहर का। लेकिन बहुत बार ऐसा होता है कि लोग बैंक अकाउंट खोल तो लेते हैं पर उसमें मिनिमम बैलेंस बनाए नहीं रख पाते या फिर सालों तक उस खाते का इस्तेमाल ही नहीं करते। इसी वजह से अक्सर बैंकों द्वारा ग्राहकों से चार्ज वसूलने की खबरें सामने आती रहती हैं। अब इस मामले में आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने नया नियम लागू कर रही है जो 1 तारीख से पूरे देश में प्रभावी होगा।
निष्क्रिय खातों पर अब नहीं लिया जाएगा चार्ज
अब अगर आपका खाता दो साल से निष्क्रिय पड़ा है और उसमें मिनिमम बैलेंस नहीं है तो बैंक अब आपसे कोई पेनाल्टी नहीं वसूल सकेगा। ये नया नियम लाखों बैंक खाताधारकों के लिए एक बड़ी राहत बनकर आया है क्योंकि अक्सर देखा गया है कि लोग ऐसे खातों की तरफ ध्यान नहीं देते और बैंक बिना बताए चार्ज काट लेते हैं जिससे ग्राहक को नुकसान होता है।
सरकारी योजनाओं वाले खातों को भी राहत
आरबीआई ने साफ कहा है कि अगर खाता इनऑपरेटिव है यानी पिछले दो सालों से उसमें कोई लेनदेन नहीं हुआ है तो ऐसे खातों से कोई मिनिमम बैलेंस चार्ज नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा ऐसे खाते जिनमें सरकार की योजनाओं के तहत स्कॉलरशिप या डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी के पैसे आते हैं, उन पर भी बैंक कोई मिनिमम बैलेंस चार्ज नहीं लगा सकते।
ग्राहकों के लिए शिकायत की सुविधा भी उपलब्ध
अगर कोई बैंक फिर भी निष्क्रिय खाते पर पेनाल्टी लगाता है तो ग्राहक पहले बैंक से शिकायत कर सकता है। अगर बैंक बात नहीं सुनता तो ग्राहक बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से शिकायत कर सकता है और अगर वहां से भी समाधान नहीं मिलता तो आरबीआई की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर शिकायत निवारण पोर्टल पर शिकायत दर्ज की जा सकती है।
सेविंग अकाउंट्स पर ब्याज और सुरक्षा दोनों
सेविंग अकाउंट अगर निष्क्रिय हो गया है यानी दो साल तक उसमें कोई लेनदेन नहीं हुआ है तब भी बैंक को उस पर ब्याज देना होगा। ऐसे खातों को निष्क्रिय मानकर चार्ज नहीं काटा जा सकता। सरकारी स्कीम वाले खातों के लिए भी अलग नियम हैं। अगर आपके जनधन अकाउंट या किसी सरकारी योजना के तहत खोले गए अकाउंट में बैलेंस जीरो है तो भी बैंक आपको न तो निष्क्रिय घोषित करेगा और न ही कोई चार्ज वसूलेगा।
क्यों उठाया आरबीआई ने यह कदम
देश में लाखों की संख्या में बैंक अकाउंट ऐसे हैं जो सालों से इस्तेमाल नहीं हो रहे। इन खातों में जो पैसा पड़ा होता है उसे ‘अनक्लेम्ड अमाउंट’ या लावारिस राशि कहा जाता है। ऐसे खातों की संख्या और उसमें जमा रकम लगातार बढ़ रही थी जिससे बैंकिंग सिस्टम पर बोझ बढ़ रहा था और सही हकदार को उसका पैसा नहीं मिल पा रहा था। इस स्थिति को सुधारने के लिए आरबीआई ने यह ठोस कदम उठाया है।
छात्रों को भी राहत
ये नियम स्कॉलरशिप पाने वाले छात्रों के लिए भी बहुत बड़ी राहत है क्योंकि ऐसे छात्रों के खाते में अक्सर तब ही पैसे आते हैं जब सरकार स्कॉलरशिप रिलीज करती है। कई बार साल भर में एक ही बार पैसा आता है। ऐसे में अगर खाता निष्क्रिय मान लिया जाए और चार्ज कट जाए तो छात्र परेशान हो जाते हैं। अब यह चिंता खत्म हो गई है।
ग्राहकों को मिलेगी पारदर्शिता और संतुलन
इससे बैंकिंग व्यवस्था में एक बड़ा सुधार आएगा और ग्राहकों का बैंकिंग सिस्टम पर भरोसा और मजबूत होगा। साथ ही यह बदलाव डिजिटल बैंकिंग को भी बढ़ावा देगा क्योंकि अब लोग बिना डरे अपने पुराने खातों को एक्टिव रख पाएंगे।
क्या करें अगर आपका खाता निष्क्रिय है
अगर आपके पास भी कोई ऐसा बैंक खाता है जिसे आप लंबे समय से इस्तेमाल नहीं कर रहे या उसमें बैलेंस नहीं है तो घबराइए मत। अब बैंक बिना वजह आपसे पैसा नहीं काट सकेगा। हां अगर आप चाहते हैं कि वह खाता फिर से चालू हो जाए तो आपको बैंक जाकर एक बार अपडेट जरूर करना होगा।