LPG Price Hike 2025 – देशभर में घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम में एक बार फिर से इज़ाफा हुआ है और इस बार की बढ़ोतरी ने आम आदमी की चिंता को और बढ़ा दिया है। केंद्रीय तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में एलान किया कि घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में ₹50 की बढ़ोतरी की गई है। यह बढ़ोतरी आज लागू हो चुकी है और इसका असर हर उस घर पर पड़ेगा जहां रसोई गैस का उपयोग होता है।
अब क्या है एलपीजी की नई कीमत
सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत जो लोग सब्सिडी पर सिलेंडर लेते हैं, उनके लिए अब सिलेंडर की कीमत ₹500 से बढ़कर ₹550 हो गई है। वहीं सामान्य उपभोक्ताओं के लिए जो पहले ₹803 में सिलेंडर लेते थे, उन्हें अब इसके लिए ₹853 चुकाने होंगे। यानी सीधे तौर पर 50 रुपये की बढ़ोतरी की गई है जो हर महीने की रसोई का बजट बिगाड़ने वाली है।
कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमत में क्या हुआ बदलाव
दिलचस्प बात यह है कि एक ओर घरेलू सिलेंडर महंगा हो गया है तो वहीं 1 अप्रैल को कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत में ₹41 की कमी की गई थी। दिल्ली में अब एक कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमत ₹1762 हो गई है। होटल, ढाबे और छोटे रेस्तरां चलाने वालों को इससे थोड़ी राहत ज़रूर मिली है लेकिन आम उपभोक्ता को इससे कोई फायदा नहीं हुआ है क्योंकि घरेलू सिलेंडर तो अब पहले से भी ज्यादा महंगा हो गया है।
पेट्रोल डीजल पर भी बोझ
सिर्फ एलपीजी ही नहीं, सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में भी ₹2 प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है। यानी अब पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क ₹13 प्रति लीटर और डीजल पर ₹10 प्रति लीटर हो गया है। यह बढ़ोतरी भी 8 अप्रैल से लागू हो चुकी है। हालांकि सरकार का कहना है कि इसका सीधा असर आम ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा लेकिन लंबे समय में ट्रांसपोर्टेशन खर्च बढ़ने से यह असर हर चीज़ पर दिखाई देगा।
महंगाई का असर किस पर ज्यादा पड़ेगा
सबसे बड़ा असर उन परिवारों पर पड़ता है जो पहले से ही सीमित आय में घर चला रहे हैं। खासकर मध्यवर्गीय और निम्न वर्ग के लोगों के लिए यह बढ़ोतरी एक और सिरदर्द बन गई है। उज्ज्वला योजना के तहत जो लाभार्थी पहले ही कई बार सिलेंडर भरवाने से हिचकते थे, अब ₹550 की कीमत उनके लिए और बोझिल हो गई है।
गांवों में रहने वाली गृहणियां पहले से ही कहती रही हैं कि उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर मिल तो गया लेकिन रीफिल कराना मुश्किल होता है। अब जब कीमत और बढ़ गई है, तो उनकी परेशानी और बढ़ेगी।
सरकार की दलील क्या है
सरकार का कहना है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है। इसके अलावा परिवहन और रिफाइनिंग की लागत भी बढ़ी है। ऐसे में यह कदम जरूरी था ताकि घाटा ना बढ़े। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि उत्पाद शुल्क बढ़ाने से सरकार की आमदनी बढ़ेगी जिसका उपयोग सामाजिक कल्याण योजनाओं में किया जाएगा।
लेकिन आम जनता क्या कह रही है
आम जनता के बीच नाराजगी साफ नजर आ रही है। सोशल मीडिया पर लोग लगातार सवाल कर रहे हैं कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कभी तेल सस्ता होता है तो उसका फायदा क्यों नहीं दिया जाता। सिर्फ कीमत बढ़ाने के समय ही ग्लोबल रेट की दुहाई क्यों दी जाती है।
दिल्ली की रहने वाली सीमा देवी कहती हैं कि एक तरफ सब्जियां महंगी, दूध महंगा, दालें महंगी और ऊपर से अब गैस भी महंगी हो गई। ऐसे में हम जैसे लोग कहां जाएं। हमारे घर में चार लोग हैं और महीने में दो सिलेंडर लगते हैं। अब हर महीने 100 रुपये अतिरिक्त देना पड़ेगा।
विशेषज्ञों की राय क्या है
आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि तेल की कीमतों में इस तरह बार बार बदलाव से बजट बनाना मुश्किल हो जाता है। एक तरफ सरकार महंगाई नियंत्रण की बात करती है और दूसरी तरफ जरूरी चीजों पर टैक्स या शुल्क बढ़ा देती है।
उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि वो कीमतें तय करने के लिए कोई स्थायी नीति बनाए ताकि उपभोक्ताओं को अचानक से झटका न लगे। साथ ही जरूरतमंद परिवारों को सब्सिडी देने की प्रक्रिया को और सरल और पारदर्शी बनाना होगा।
क्या कोई राहत संभव है
देखा जाए तो निकट भविष्य में कीमतों में कमी की संभावना बहुत कम है। क्योंकि सरकार पहले ही कह चुकी है कि तेल और गैस की कीमतों की समीक्षा अंतरराष्ट्रीय हालात के अनुसार की जाती है। हां अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सस्ता होता है तो आने वाले महीनों में कुछ राहत मिल सकती है।
हर महीने बजट बनाते समय अब गैस सिलेंडर की बढ़ी हुई कीमत को भी जोड़ना पड़ेगा। ये सिर्फ ₹50 की बात नहीं है बल्कि पूरे घर की व्यवस्था को प्रभावित करता है। गरीब और मध्यम वर्ग पहले ही महंगाई की मार झेल रहा है, अब गैस और पेट्रोल डीजल की कीमत बढ़ने से आम आदमी की परेशानी और बढ़ गई है।
ऐसे में लोगों की उम्मीद सरकार से यही है कि वो जल्द से जल्द इन मूलभूत जरूरतों को लेकर कोई ठोस कदम उठाए ताकि आम आदमी को थोड़ी राहत मिल सके।