LPG Gas Cylinder Price – अगर आप भी हर महीने घरेलू रसोई गैस सिलेंडर खरीदते हैं तो ये खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। हाल ही में सरकार ने एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में इजाफा कर दिया है और ये नई कीमतें अप्रैल 2025 से लागू हो चुकी हैं। इस बार सिलेंडर पर 50 रुपये तक का सीधा बोझ पड़ा है जिससे हर आम और खास आदमी की जेब पर असर पड़ा है।
अब चाहे आप प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर लेते हों या फिर बिना सब्सिडी के बाजार भाव पर खरीदते हों, दोनों ही स्थितियों में आपको ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। आइए जानते हैं क्या है नई कीमतें, किसे कितना नुकसान और इस बढ़ोतरी के पीछे क्या कारण हैं।
उज्ज्वला और गैर-उज्ज्वला उपभोक्ताओं पर असर
सरकार ने जो नया रेट जारी किया है उसके मुताबिक उज्ज्वला योजना के तहत मिलने वाला सब्सिडी वाला सिलेंडर अब 500 की जगह 550 रुपये का हो गया है। वहीं जिन उपभोक्ताओं को कोई सब्सिडी नहीं मिलती उनके लिए घरेलू सिलेंडर की कीमत 803 से बढ़कर 853 रुपये हो गई है। यानी सीधे सीधे 50 रुपये का फर्क पड़ गया है।
महंगाई का एक और झटका
इस समय जब महंगाई पहले ही सिर चढ़कर बोल रही है, पेट्रोल डीजल के दाम स्थिर होने के बावजूद सब्जी और दाल जैसे रोजमर्रा के सामान की कीमतें पहले से ही ज्यादा हैं, ऐसे में रसोई गैस की कीमत बढ़ना आम आदमी के लिए बड़ा झटका है। एक तरफ सरकार उज्ज्वला योजना के जरिए गरीबों को राहत देने की बात करती है लेकिन जब सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत भी बढ़ा दी जाए तो सवाल उठते हैं।
कीमत बढ़ाने के पीछे क्या कारण दिए गए हैं
सरकार और तेल कंपनियों के मुताबिक इस बढ़ोतरी के पीछे तीन मुख्य कारण हैं
- वैश्विक ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी – अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल और गैस की कीमतें बढ़ रही हैं और उसी का असर घरेलू बाजार में भी दिखता है
- सरकारी सब्सिडी का बोझ – सरकार हर साल करोड़ों रुपये सब्सिडी पर खर्च करती है जिसे कम करने के लिए समय-समय पर दरों में संशोधन किया जाता है
- तेल कंपनियों का घाटा – कंपनियों को सिलेंडर की बिक्री में घाटा हो रहा है जिसकी भरपाई कीमतें बढ़ाकर की जा रही है
वाणिज्यिक LPG पर राहत लेकिन घरेलू उपभोक्ता परेशान
गौर करने वाली बात ये है कि जहां एक तरफ घरेलू गैस की कीमतें बढ़ी हैं वहीं 1 अप्रैल 2025 को वाणिज्यिक सिलेंडर की कीमत में 41 रुपये की कटौती की गई थी। यानी जो गैस होटल और ढाबे में इस्तेमाल होती है वो सस्ती हो गई और जो आम घरों में इस्तेमाल होती है वो महंगी। इससे साफ है कि आम आदमी ही हमेशा सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।
शहरों के हिसाब से नई कीमतें कैसी हैं
देश के अलग-अलग शहरों में सिलेंडर की कीमतें कुछ इस प्रकार हैं
दिल्ली में अब एलपीजी सिलेंडर की कीमत 853 रुपये हो गई है
मुंबई में 852 रुपये पचास पैसे
कोलकाता में सबसे ज्यादा 879 रुपये
चेन्नई में 858 रुपये पचास पैसे
लखनऊ में 890 रुपये पचास पैसे
पटना में 951 रुपये
जयपुर में 856 रुपये पचास पैसे
भोपाल और इंदौर में लगभग 858 से 881 रुपये तक
वहीं अगर बात करें उत्तर भारत की तो श्रीनगर में सबसे महंगे सिलेंडर मिल रहे हैं जिनकी कीमत 969 रुपये तक पहुंच गई है
किन वर्गों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
- गरीब परिवार – उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर भले ही सब्सिडी वाला हो लेकिन 500 से बढ़ाकर 550 रुपये होना भी एक बड़ा फर्क है खासकर तब जब परिवार में कमाई सीमित हो
- मध्यम वर्ग – मिडिल क्लास पहले से ही बच्चों की पढ़ाई, मेडिकल खर्च और बाकी जिम्मेदारियों से परेशान है और अब सिलेंडर पर 50 रुपये की बढ़ोतरी और भी तनाव बढ़ा सकती है
पेट्रोल डीजल की कीमतों पर क्या असर
सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी है लेकिन अच्छी बात ये है कि फिलहाल खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है यानी फिलहाल पंप पर मिलने वाले दाम वही हैं
लेकिन यह भी संभव है कि भविष्य में यह बोझ भी उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाए इसलिए सतर्क रहना जरूरी है
क्या कर सकते हैं आम उपभोक्ता
अब सवाल ये है कि इस बढ़ती कीमत से निपटने के लिए आम आदमी क्या कर सकता है
- गैस की खपत को कम करने की कोशिश करें
- इंडक्शन चूल्हा या सोलर कुकर जैसे विकल्पों पर विचार करें
- उज्ज्वला योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा सिलेंडर भरवाने की कोशिश करें ताकि सब्सिडी का लाभ मिल सके
- गैस की बर्बादी को रोकें यानी खाना पकाते समय ढक्कन लगाकर पकाएं और गैस बंद करने में सतर्क रहें
एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये की बढ़ोतरी एक आम उपभोक्ता के लिए वाकई चिंता की बात है। उज्ज्वला योजना वाले लाभार्थी हों या फिर मिडिल क्लास का हिस्सा, दोनों पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। हालांकि सरकार इस फैसले को वैश्विक हालात और सब्सिडी के बोझ से जोड़ रही है लेकिन जनता को तो जेब से पैसे निकालने ही हैं।
अगर आने वाले दिनों में फिर से अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ीं तो गैस के रेट और ऊपर जा सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम जागरूक रहें और अपनी खपत को नियंत्रित करके बजट को संतुलित रखें।