Gratuity Rules – हर सरकारी और प्राइवेट कर्मचारी को एक निश्चित समय तक काम करने के बाद ग्रेच्युटी मिलती है जो उनकी वित्तीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर कर्मचारी कुछ गलतियां कर देता है तो उसे यह राशि नहीं मिलेगी ग्रेच्युटी से जुड़े नियमों को समझना जरूरी है ताकि कोई गलती न हो और आप इस लाभ से वंचित न रहें आइए जानते हैं ग्रेच्युटी के नए नियम और किन गलतियों से यह राशि रुक सकती है।
ग्रेच्युटी पाने के लिए जरूरी नियम
1 अप्रैल 1972 को लागू हुए ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के अनुसार अगर कोई कर्मचारी लगातार पांच साल तक किसी कंपनी में काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है। ग्रेच्युटी का भुगतान कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने कंपनी छोड़ने या नौकरी से निकाले जाने पर किया जाता है यह राशि कर्मचारी की सेवा अवधि और अंतिम वेतन पर निर्भर करती है।
- सरकारी और प्राइवेट दोनों सेक्टर के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है।
- न्यूनतम पांच साल की सेवा आवश्यक होती है।
- सेवानिवृत्ति नौकरी छोड़ने या मृत्यु के बाद ग्रेच्युटी दी जाती है।
- ग्रेच्युटी राशि आयकर मुक्त होती है अगर यह सीमा से अधिक नहीं हो।
किन गलतियों पर नहीं मिलेगी ग्रेच्युटी
अगर कर्मचारी किसी ऐसी गलती का दोषी पाया जाता है जिससे कंपनी को वित्तीय नुकसान हुआ हो तो नियोक्ता ग्रेच्युटी रोक सकता है इसमें कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
- अनुशासनहीनता – अगर कर्मचारी का व्यवहार अनुशासनहीन हो और वह कंपनी के नियमों का पालन न करे तो उसकी ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है।
- कंपनी को आर्थिक नुकसान – अगर किसी कर्मचारी के कारण कंपनी को वित्तीय नुकसान होता है तो नियोक्ता नुकसान की भरपाई के लिए ग्रेच्युटी काट सकता है।
- अवैध गतिविधियों में संलिप्तता – अगर कर्मचारी किसी अनैतिक या अवैध गतिविधि में शामिल पाया जाता है तो उसे ग्रेच्युटी से वंचित किया जा सकता है।
- जानबूझकर गलत सूचना देना – अगर किसी कर्मचारी ने नौकरी जॉइन करने से पहले गलत जानकारी दी है और यह बाद में सामने आता है तो उसकी ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है।
- कंपनी की गोपनीय जानकारी लीक करना – अगर कोई कर्मचारी कंपनी की संवेदनशील जानकारी लीक करता है तो उसकी ग्रेच्युटी जब्त की जा सकती है।
ग्रेच्युटी रोकने की प्रक्रिया
अगर नियोक्ता को लगता है कि कर्मचारी के कारण कंपनी को नुकसान हुआ है तो वह ग्रेच्युटी रोकने की प्रक्रिया अपना सकता है लेकिन इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है-
- सबसे पहले कर्मचारी को एक लिखित नोटिस भेजा जाता है जिसमें बताया जाता है कि उसके कारण कंपनी को कितना नुकसान हुआ है।
- कर्मचारी से इस पर स्पष्टीकरण मांगा जाता है अगर स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं होता तो नियोक्ता ग्रेच्युटी रोक सकता है।
- दिल्ली हाईकोर्ट के अनुसार नियोक्ता पूरी ग्रेच्युटी नहीं रोक सकता बल्कि सिर्फ उतनी राशि काट सकता है जितना नुकसान हुआ है।
ग्रेच्युटी से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलू
- ग्रेच्युटी भुगतान की समय सीमा – कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने या नौकरी छोड़ने के 30 दिनों के भीतर ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाना चाहिए।
- टैक्स छूट – सरकारी कर्मचारियों को पूरी ग्रेच्युटी टैक्स फ्री मिलती है जबकि प्राइवेट कर्मचारियों के लिए 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी टैक्स मुक्त होती है।
- नियोक्ता की जिम्मेदारी – अगर नियोक्ता तय समय सीमा के अंदर ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं करता तो उसे ब्याज सहित भुगतान करना पड़ता है।
- ग्रेच्युटी फॉर्म भरने की प्रक्रिया – कर्मचारी को अपनी ग्रेच्युटी के लिए फॉर्म I भरकर जमा करना होता है।
क्या करें अगर ग्रेच्युटी न मिले
अगर किसी कर्मचारी की ग्रेच्युटी नियोक्ता गलत तरीके से रोक लेता है तो कर्मचारी को श्रम विभाग या ट्रिब्यूनल में शिकायत दर्ज करनी चाहिए इसके अलावा वह कोर्ट में भी अपील कर सकता है
- सबसे पहले कंपनी के HR विभाग से संपर्क करें।
- अगर वहां समाधान नहीं होता तो श्रम विभाग में शिकायत करें।
- श्रम न्यायालय या हाईकोर्ट का सहारा लें अगर आपकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
ग्रेच्युटी एक महत्वपूर्ण वित्तीय सुरक्षा है जो नौकरी के अंतिम चरण में कर्मचारियों को मिलती है लेकिन इसे पाने के लिए कर्मचारी को कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। अगर कोई कर्मचारी अनुशासनहीनता करता है कंपनी को वित्तीय नुकसान पहुंचाता है या किसी अनैतिक गतिविधि में शामिल होता है तो उसकी ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है। हालांकि नियोक्ता को इसके लिए उचित प्रक्रिया का पालन करना होता है और कर्मचारी को कानूनी सहायता भी उपलब्ध होती है। इसलिए ग्रेच्युटी से जुड़े नियमों को समझना और उनका पालन करना हर कर्मचारी के लिए जरूरी है