Cheque Bounce Rules – आज के दौर में बैंक खाता हर नागरिक की जरूरत बन चुका है। जैसे ही किसी का अकाउंट खुलता है, उसे एटीएम कार्ड, नेट बैंकिंग और चेक बुक जैसी सुविधाएं मिल जाती हैं। चेक बुक के ज़रिए हम दूसरों को भुगतान कर सकते हैं, लेकिन अगर सावधानी न बरती जाए तो यह एक बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है।
क्या होता है चेक बाउंस
जब आप किसी को चेक देते हैं और आपके खाते में उतनी राशि नहीं होती जितनी आपने चेक में लिखी है या फिर चेक किसी अन्य कारण से क्लियर नहीं हो पाता, तो उसे ‘चेक बाउंस’ कहा जाता है। ये एक गंभीर मामला होता है और इसमें कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
चेक बाउंस के आम कारण
- खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना
- चेक पर गलत या मेल न खाते हस्ताक्षर
- चेक की वैधता समाप्त हो जाना (आमतौर पर 3 महीने)
- चेक पर कटिंग या अस्पष्ट जानकारी
- चेक देने वाले का खाता बंद होना
- बैंक को पहले से स्टॉप पेमेंट का निर्देश देना
चेक बाउंस पर कानून क्या कहता है
भारत में चेक बाउंस को परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 की धारा 138 के तहत कवर किया गया है। नए नियमों के मुताबिक अब इस अपराध को पहले से ज्यादा गंभीरता से लिया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति चेक देता है और वह बाउंस हो जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
धारा 138 के तहत क्या-क्या शर्तें लागू होती हैं
- चेक किसी कानूनी देनदारी या कर्ज के भुगतान के लिए जारी होना चाहिए
- चेक को उसकी तारीख से 3 महीने के भीतर बैंक में जमा करना जरूरी है
- चेक बाउंस होने पर प्राप्तकर्ता को 30 दिनों के अंदर लिखित नोटिस भेजना अनिवार्य है
- नोटिस मिलने के बाद चेक जारी करने वाले के पास 15 दिन होते हैं भुगतान करने के लिए
- यदि वह फिर भी भुगतान नहीं करता, तो अगले 30 दिनों के भीतर कोर्ट में केस दर्ज किया जा सकता है
क्या है सजा का प्रावधान
- अधिकतम 2 साल तक की जेल
- चेक की राशि से दोगुना जुर्माना
- कुछ मामलों में जेल और जुर्माना दोनों
- मूल राशि पर ब्याज और कानूनी खर्च का भुगतान भी करना पड़ सकता है
कैसे बचें चेक बाउंस से
- चेक देने से पहले अपने खाते में बैलेंस जरूर चेक करें
- चेक साफ-साफ और बिना कटिंग के भरें
- अपने हस्ताक्षर बैंक में दिए गए सैंपल से मिलते हों इसका ध्यान रखें
- अगर पोस्ट डेटेड चेक दे रहे हैं तो उस तारीख को बैलेंस होना चाहिए
- चेक और खाते की जानकारी पर नियमित नजर रखें
अगर चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें
- तुरंत संबंधित व्यक्ति से संपर्क करें और स्थिति स्पष्ट करें
- कोशिश करें कि 30 दिन के भीतर भुगतान कर दें
- अगर नोटिस मिले तो 15 दिन के अंदर उसका जवाब दें
- जरूरत हो तो किसी अच्छे वकील से सलाह जरूर लें
डिजिटल पेमेंट है बेहतर विकल्प
अब जब डिजिटल इंडिया की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है तो भुगतान के लिए NEFT, RTGS, UPI और मोबाइल वॉलेट जैसे विकल्प उपलब्ध हैं। ये सभी विकल्प तेज़, सुरक्षित और अधिक सुविधाजनक हैं। इनके इस्तेमाल से न सिर्फ समय बचता है, बल्कि चेक बाउंस जैसी स्थिति से भी बचा जा सकता है।
सावधानी में ही समझदारी है
चेक एक जरूरी वित्तीय दस्तावेज होता है और इसका इस्तेमाल बेहद सोच-समझकर करना चाहिए। एक बार चेक बाउंस हो गया तो आपकी प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है और आप कानूनी पचड़े में भी फंस सकते हैं। इसलिए हमेशा सतर्क रहें और जरूरत हो तो डिजिटल विकल्प अपनाएं।
चेक बाउंस से जुड़े नियमों और नए बदलावों को जानना आज के समय में बेहद जरूरी है। इससे न केवल आपकी वित्तीय जानकारी बेहतर होगी, बल्कि आप गलतियों से भी बच सकेंगे। अब चेक देना सिर्फ एक दस्तावेजी प्रक्रिया नहीं रही, बल्कि यह आपकी जिम्मेदारी और समझदारी का प्रतीक बन गया है। तो अगली बार जब आप किसी को चेक दें, तो पहले खुद से जरूर पूछें कि क्या मैं इसके लिए तैयार हूं।