EPFO Minimum Pension Hike – भारत में लाखों बुजुर्ग ऐसे हैं जो EPFO की पेंशन पर निर्भर हैं, खासकर EPS-95 योजना के तहत आने वाले लोग। लेकिन आज भी इन पेंशनर्स को सिर्फ ₹1000 प्रतिमाह पेंशन मिलती है। अब जरा सोचिए, आज के समय में क्या ₹1000 से दवा, खाना, बिजली का बिल, किराया जैसे खर्चे पूरे हो सकते हैं। बिल्कुल नहीं।
इसीलिए अब देशभर में यह मांग जोरों पर है कि न्यूनतम पेंशन ₹7500 की जाए। ये सिर्फ एक आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि ये बुजुर्गों की गरिमा और उनके हक़ की बात है।
अभी की स्थिति क्या है
वर्तमान में EPS योजना के तहत न्यूनतम पेंशन ₹1000 प्रतिमाह है। ये राशि 2014 में तय की गई थी और तभी से जस की तस है। इस दौरान महंगाई दोगुनी हो चुकी है, लेकिन पेंशन में एक रुपए का भी इजाफा नहीं हुआ है। कई पेंशनर्स को तो ये भी नहीं पता कि उन्हें किस आधार पर कितनी पेंशन मिलती है।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, करीब 67 लाख पेंशनर्स EPS के तहत आते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग 60 वर्ष से ऊपर हैं और उनमें से भी बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्रों से हैं।
क्यों हो रही है ₹7500 की मांग
देखिए, जब 2014 में ₹1000 पेंशन तय की गई थी, तब भी ये राशि कम मानी गई थी। अब तो हालात और बिगड़ चुके हैं।
- महंगाई बहुत बढ़ चुकी है
- बुजुर्गों को हर महीने दवाइयों पर हजारों खर्च करने पड़ते हैं
- शहरों में किराया और जरूरतों का खर्च लगातार बढ़ रहा है
- सामाजिक सुरक्षा की ज़रूरत पहले से कहीं ज्यादा महसूस की जा रही है
कई संगठनों और यूनियनों ने सरकार से ये मांग की है कि EPS पेंशन को ₹7500 किया जाए और इसमें महंगाई भत्ता यानी DA भी जोड़ा जाए।
क्या समितियों ने इस पर कुछ कहा है
हाँ, संसद की स्थायी समिति ने 2018 में ही सुझाव दिया था कि EPS पेंशन को बढ़ाकर ₹3000 से ₹7500 किया जाए। 2023 में भी श्रम मंत्रालय ने इस विषय पर एक रिपोर्ट तैयार की थी जिसमें EPS पेंशनर्स को मुफ्त मेडिकल सुविधा देने की बात भी की गई थी।
लेकिन रिपोर्ट बनते-बनते और चुनाव आते-जाते, ये मांग हमेशा पीछे छूट जाती है। अब जब लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और नई सरकार बन रही है, तो पेंशनर्स को फिर से उम्मीद है कि मई 2025 में कोई बड़ा ऐलान हो सकता है।
क्या मई 2025 से लागू हो जाएगा नया नियम
देखा जाए तो समय बिल्कुल सही है। नया बजट आने वाला है और सरकार पर दबाव भी है। अगर EPFO की तरफ से कोई ठोस प्रस्ताव जाता है और वित्त मंत्रालय उसे स्वीकृति देता है, तो मई 2025 से इसका लागू होना संभव है।
कुछ संकेत ऐसे भी मिले हैं कि इस बार सरकार गंभीर है। कई सांसदों ने लोकसभा में पेंशनर्स के लिए बात रखी है और प्रधानमंत्री को भी ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं।
पेंशनर्स के लिए इसका मतलब क्या होगा
अगर ₹7500 पेंशन लागू होती है तो EPS के तहत आने वाले लाखों बुजुर्गों को सीधा फायदा होगा।
- उन्हें आर्थिक रूप से थोड़ी राहत मिलेगी
- इलाज, खाने और अन्य जरूरतों को खुद मैनेज कर पाएंगे
- परिवार पर आर्थिक बोझ थोड़ा कम होगा
गांवों में रहने वाले बुजुर्ग जो आज भी दूसरों के भरोसे जीते हैं, उनके लिए ये बहुत बड़ी राहत होगी।
व्यक्तिगत अनुभव की बात करें
मेरे एक जानने वाले हैं, रामचंद्र जी, जिन्होंने 22 साल एक प्राइवेट कंपनी में काम किया। आज उनकी उम्र 70 साल है और उन्हें ₹1000 पेंशन मिलती है। उनका बेटा भी मजदूरी करता है। कई बार उनके लिए दवा खरीदना मुश्किल हो जाता है। वे कहते हैं, “अगर ₹7500 पेंशन मिल जाए, तो कम से कम अपनी दवाएं तो खुद ले पाऊंगा।”
ऐसे हज़ारों उदाहरण हैं जहां पेंशन से न केवल बुजुर्ग बल्कि पूरा परिवार प्रभावित होता है।
सरकार को क्या करना चाहिए
- EPFO पोर्टल पर हर पेंशनर्स की स्थिति और गणना साफ दिखानी चाहिए
- एक बार फिर से पेंशन रिव्यू कमिटी बनानी चाहिए जो मौजूदा ज़रूरतों के हिसाब से सिफारिश दे
- पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत प्रणाली बेहतर करनी चाहिए
- DA और मुफ्त इलाज जैसी सुविधा भी पेंशन के साथ जुड़नी चाहिए
EPS पेंशन सिर्फ एक स्कीम नहीं है। ये उन लोगों की उम्मीद है जिन्होंने अपनी जवानी में देश और समाज के लिए काम किया है। आज जब उन्हें सहारे की जरूरत है, तो सरकार को उनके साथ खड़ा होना चाहिए। ₹7500 की पेंशन कोई लग्जरी नहीं, बल्कि उनका अधिकार है।
अब देखना ये है कि मई 2025 में सरकार क्या फैसला लेती है। लेकिन पेंशनर्स को एकजुट रहकर अपनी आवाज़ उठाते रहना होगा। ये बदलाव सिर्फ उनका ही नहीं, हम सबके भविष्य से जुड़ा है क्योंकि एक दिन हम भी उसी कतार में खड़े होंगे।