Toll Tax Update 2025 – कुछ समय पहले तक जब भी लोग नेशनल हाईवे या एक्सप्रेसवे पर सफर करते थे तो उन्हें टोल प्लाजा पर लंबी लाइनों का सामना करना पड़ता था। फास्टैग तकनीक आने के बाद जरूर थोड़ी राहत मिली थी लेकिन अब सरकार एक और कदम आगे बढ़ा चुकी है। अब ऐसा सिस्टम लागू हो रहा है जिससे लाखों वाहन चालकों को टोल टैक्स से पूरी तरह राहत मिलने जा रही है।
कार चालकों को मिलेगा फायदा
सरकार ने तय किया है कि अगर आप अपनी निजी कार से टोल प्लाजा के 20 किलोमीटर के दायरे में सफर कर रहे हैं तो आपको किसी तरह का टोल टैक्स नहीं देना होगा। यानी अगर आप टोल से 20 किलोमीटर के भीतर रहते हैं और वहीं से हाईवे पकड़कर वापस आ जाते हैं तो कोई भुगतान नहीं करना पड़ेगा। यह नियम केवल प्राइवेट गाड़ियों पर लागू होगा। टैक्सी या कमर्शियल गाड़ियां इस छूट का लाभ नहीं उठा सकेंगी।
कमर्शियल गाड़ियों को छूट नहीं
एनएचएआई ने साफ कर दिया है कि इस नई सुविधा का फायदा केवल पर्सनल यानी निजी उपयोग में लाई जाने वाली कारों को मिलेगा। टैक्सी, ऑटो, बस या ट्रक जैसे कमर्शियल वाहन इस दायरे में नहीं आएंगे। कमर्शियल गाड़ियों को पहले की तरह फास्टैग से भुगतान करना पड़ेगा। इसका मतलब ये हुआ कि टैक्सी ड्राइवरों या ट्रांसपोर्ट कंपनियों को अब भी टोल का भुगतान करना होगा।
GNSS तकनीक से तय होगा टोल
अब सवाल उठता है कि सरकार यह कैसे पता लगाएगी कि किस गाड़ी ने कितनी दूरी तय की है। इसके लिए सरकार ने GNSS यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम तकनीक को अपनाया है। यह तकनीक सीधे सैटेलाइट से जुड़ी है और इससे गाड़ी की सटीक लोकेशन ट्रैक की जा सकती है। अगर आपकी कार एक दिन में 20 किलोमीटर से ज्यादा हाईवे या एक्सप्रेसवे पर चली है तो ही आपसे टोल वसूला जाएगा। 20 किलोमीटर तक की दूरी मुफ्त होगी।
कैसे काम करता है GNSS सिस्टम
GNSS तकनीक गाड़ी में लगे एक खास डिवाइस के जरिए काम करती है। यह डिवाइस सैटेलाइट से जुड़ा होता है और हर समय गाड़ी की मूवमेंट को रिकॉर्ड करता है। जैसे ही कोई वाहन 20 किलोमीटर से ज्यादा चलने लगता है तो सिस्टम टोल चार्ज अपने आप तय कर लेता है। इसका भुगतान पहले की तरह फास्टैग से ही होगा लेकिन डेटा GNSS से लिया जाएगा।
2008 के टोल नियमों में हुआ बदलाव
सरकार ने 2008 में बनाए गए टोल टैक्स नियमों में बदलाव करते हुए यह नई व्यवस्था लागू की है। अब अगर कोई गाड़ी 20 किलोमीटर से कम हाईवे पर चलती है तो उससे टोल नहीं लिया जाएगा। इससे छोटे शहरों और कस्बों के लोगों को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा जो अक्सर हाईवे पर कम दूरी तय करते हैं।
फास्टैग और GNSS दोनों मिलकर करेंगे काम
नई व्यवस्था के तहत फास्टैग पूरी तरह बंद नहीं किया जा रहा है। बल्कि GNSS तकनीक को फास्टैग के साथ जोड़ा जाएगा। यानी अब टोल वसूली GNSS से तय होगी लेकिन पैसे फास्टैग से कटेंगे। इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि टोल प्लाजा पर लाइनें नहीं लगेंगी और सफर पूरी तरह कैशलेस और स्मार्ट हो जाएगा।
कहां शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट
GNSS आधारित टोल वसूली का पायलट प्रोजेक्ट देश के दो हिस्सों में शुरू हो चुका है। पहला कर्नाटक के बेंगलुरु से मैसूर के बीच NH 275 पर और दूसरा हरियाणा के पानीपत से हिसार के बीच NH 709 पर। इन दोनों जगहों पर GNSS सिस्टम को ट्रायल के तौर पर लागू किया गया है। अगर यह सफल रहा तो पूरे देश के हाईवे पर इसे लागू कर दिया जाएगा।
कार मालिकों को क्या करना होगा
अगर आप भी इस सुविधा का फायदा उठाना चाहते हैं तो आपको अपनी गाड़ी में GNSS डिवाइस लगवाना होगा। यह डिवाइस सरकारी अप्रूव्ड एजेंसी से ही लगवाना होगा और इसे फास्टैग से लिंक करना होगा। एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद आप 20 किलोमीटर तक बिना कोई टोल दिए सफर कर सकेंगे।
इससे क्या होंगे फायदे
नई तकनीक के जरिए अब टोल प्लाजा पर लंबी लाइनें नहीं लगेंगी। छोटे सफर करने वालों को पैसे बचाने में मदद मिलेगी। साथ ही कम दूरी तय करने पर टोल नहीं देना पड़ेगा जिससे ईंधन की बचत भी होगी और सफर सस्ता पड़ेगा। इसके अलावा सरकार को भी टोल वसूली में पारदर्शिता मिलेगी और कैश की जरूरत खत्म हो जाएगी।
GNSS आधारित टोल सिस्टम आने वाले समय में भारत के हर वाहन चालक के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। यह तकनीक सफर को न केवल आसान बनाएगी बल्कि टोल टैक्स को लेकर बनी परेशानियों को भी दूर करेगी। अगर आप एक निजी वाहन मालिक हैं और हाईवे से अक्सर कम दूरी तय करते हैं तो आपके लिए ये खबर किसी खुशखबरी से कम नहीं है।