पत्नी के नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट कराने से होंगे ये बड़े फायदे, बैंक कभी नहीं बताएगा ये सीक्रेट – Fixed Deposit

Fixed Deposit – फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) भारतीय निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय तरीका है, क्योंकि इसमें निवेश पर गारंटीड रिटर्न मिलता है और जोखिम भी बेहद कम होता है। हालांकि, अगर आप एफडी कराने की सोच रहे हैं, तो अपनी बजाय पत्नी के नाम पर एफडी कराने के फायदे जरूर जान लें। ज्यादातर लोग इस बात से अनजान होते हैं कि पत्नी के नाम पर एफडी करवाने से टैक्स और टीडीएस में बचत के साथ-साथ कई अन्य फायदे भी मिलते हैं। इसीलिए, यह तरीका आजकल निवेश के सबसे बेहतर विकल्पों में से एक माना जा रहा है।

कैसे मिलेगी टैक्स और टीडीएस में बचत

एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर एक तय सीमा के बाद टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) काटा जाता है। अगर आपकी एफडी से सालाना 40,000 रुपये से अधिक का ब्याज मिल रहा है, तो उस पर 10 प्रतिशत टीडीएस कटेगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50,000 रुपये है।

अगर आप अपनी बजाय पत्नी के नाम पर एफडी कराते हैं, तो टीडीएस कटौती से बच सकते हैं। खासकर यदि आपकी पत्नी की कोई इनकम नहीं है या उसकी इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है, तो फॉर्म 15G भरकर टीडीएस से पूरी तरह छूट पाई जा सकती है। इससे आपका पैसा सुरक्षित भी रहेगा और अतिरिक्त टैक्स देने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

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हाउसवाइफ को टैक्स देने की जरूरत नहीं होती

भारत में ज्यादातर महिलाएं हाउसवाइफ होती हैं, यानी उनकी कोई स्वतंत्र आय नहीं होती। अगर आपकी पत्नी की कोई अलग से आमदनी नहीं है या उसकी आय टैक्स स्लैब के दायरे में नहीं आती है, तो उनके नाम पर की गई एफडी पर टैक्स की बचत की जा सकती है।

अगर पति एफडी कराते हैं, तो उनकी कुल इनकम में एफडी से मिलने वाला ब्याज भी जुड़ जाएगा और टैक्स की देनदारी बढ़ सकती है। लेकिन पत्नी के नाम पर एफडी कराने से यह समस्या नहीं होती और आप कानूनी रूप से अधिकतम बचत कर सकते हैं।

ज्वाइंट एफडी कराने के फायदे

अगर आप पूरी एफडी पत्नी के नाम पर नहीं कराना चाहते हैं, तो एक विकल्प यह भी है कि पत्नी को फर्स्ट होल्डर बनाकर ज्वाइंट एफडी कराएं।

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  • इसमें पति-पत्नी दोनों को फायदा होगा
  • अगर पत्नी की इनकम कम है, तो टैक्स की बचत होगी
  • टीडीएस में भी राहत मिलेगी
  • इमरजेंसी में जरूरत पड़ने पर पत्नी भी एफडी से पैसे निकाल सकती है

एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स की गणना

अगर पति के नाम पर एफडी कराई गई है, तो उसमें मिलने वाला ब्याज पति की कुल आय में जुड़ जाता है और टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स लगाया जाता है।

लेकिन अगर पत्नी के नाम पर एफडी कराई जाती है, और उसकी इनकम ढाई लाख रुपये सालाना से कम है, तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा।

उदाहरण के तौर पर, अगर आप 5 लाख रुपये की एफडी 7% ब्याज दर पर कराते हैं, तो सालाना ब्याज 35,000 रुपये होगा।

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  • अगर यह एफडी पति के नाम पर होगी, तो यह उनकी कुल इनकम में जुड़ जाएगी और ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा
  • अगर यही एफडी पत्नी के नाम पर है और उसकी कोई अन्य आमदनी नहीं है, तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा

कौन-कौन से बैंक और वित्तीय संस्थान एफडी की सुविधा देते हैं

आज के समय में लगभग सभी बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) एफडी की सुविधा प्रदान करती हैं।

प्रमुख बैंक और संस्थान जहां एफडी कराई जा सकती है:

  • भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
  • पंजाब नेशनल बैंक (PNB)
  • एचडीएफसी बैंक (HDFC)
  • आईसीआईसीआई बैंक (ICICI)
  • एक्सिस बैंक (Axis Bank)
  • बंधन बैंक (Bandhan Bank)
  • बजाज फिनसर्व (Bajaj Finserv)
  • महिंद्रा फाइनेंस (Mahindra Finance)

कौन-से दस्तावेज़ जरूरी होते हैं

पत्नी के नाम पर एफडी कराने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज़ लगते हैं।

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  • पत्नी का आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • एड्रेस प्रूफ (बिजली बिल, राशन कार्ड आदि)
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • बैंक अकाउंट डिटेल्स

अगर आप ज्वाइंट एफडी करवा रहे हैं, तो दोनों के डॉक्यूमेंट्स देने होंगे।

एफडी में निवेश करने से पहले क्या ध्यान दें

पत्नी के नाम पर एफडी कराने के फायदे तो हैं, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

  • एफडी कराने से पहले ब्याज दरों की तुलना जरूर करें। अलग-अलग बैंकों और NBFC में ब्याज दरें अलग-अलग हो सकती हैं।
  • एफडी की अवधि (टेन्योर) सोच-समझकर चुनें। आमतौर पर 1 साल से 10 साल तक के लिए एफडी कराई जा सकती है।
  • अगर आपकी पत्नी के नाम पर बड़ी रकम की एफडी कराई जा रही है, तो बेहतर होगा कि इसे टैक्स प्लानिंग के हिसाब से करें।
  • एफडी का ऑटो-रिन्यूअल ऑप्शन चुनें, ताकि मैच्योरिटी के बाद यह अपने आप आगे बढ़ जाए।

अगर आप एफडी में निवेश करना चाहते हैं और टैक्स बचाने के साथ-साथ ज्यादा रिटर्न पाना चाहते हैं, तो पत्नी के नाम पर एफडी कराना एक बेहतरीन विकल्प है। इससे टीडीएस और टैक्स में बचत होती है, साथ ही यह एक स्मार्ट इन्वेस्टमेंट प्लानिंग का हिस्सा भी बन सकता है।

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ज्वाइंट एफडी कराने से भी फायदे मिलते हैं और अगर आपकी पत्नी की इनकम टैक्स स्लैब के नीचे आती है, तो इससे आपका टैक्स बोझ कम होगा और आप अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इस तरह, एफडी को केवल ब्याज कमाने का साधन ही न मानें, बल्कि इसे सही तरीके से प्लान करके टैक्स सेविंग का जरिया भी बनाएं।

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